वाँ रसाई ही नहीं मजनून-ए-सहरा-गर्द की By Sher << वारफ़्ता हूँ ऐसा में कि क... वाँ लाल फड़कता है अमीरों ... >> वाँ रसाई ही नहीं मजनून-ए-सहरा-गर्द की आलम-ए-इम्काँ से भी बाहर मिरा वीराना है Share on: