वाँ लाल फड़कता है अमीरों के क़फ़स में By Sher << वाँ रसाई ही नहीं मजनून-ए-... वादों ही पे हर रोज़ मिरी ... >> वाँ लाल फड़कता है अमीरों के क़फ़स में याँ फ़ाख़्ता हक़-गो है फ़क़ीरों के क़फ़स में Share on: