वहम ओ ख़िरद के मारे हैं शायद सब लोग By Sher << तुझ से अब और मोहब्बत नहीं... हर बात जानते हुए दिल मानत... >> वहम ओ ख़िरद के मारे हैं शायद सब लोग देख रहा हूँ शीशे के घर चारों ओर Share on: