वही शय मक़सद-ए-क़ल्ब-ओ-नज़र महसूस होती है By Sher << नूह बैठे हैं चारपाई पर रोज़-ओ-शब याँ एक सी है रौ... >> वही शय मक़सद-ए-क़ल्ब-ओ-नज़र महसूस होती है कमी जिस की बराबर उम्र भर महसूस होती है Share on: