वहशत तो संग-ओ-ख़िश्त की तरतीब ले गई By Sher << फ़ज़ा तबस्सुम-ए-सुब्ह-ए-ब... गए थे मिलने को शायद झिड़क... >> वहशत तो संग-ओ-ख़िश्त की तरतीब ले गई अब फ़िक्र ये है दश्त की वुसअत भी ले न जाए Share on: