वक़्त-ए-पीरी दोस्तों की बे-रुख़ी का क्या गिला By Sher << यूँ तरस खा के न पूछो अहवा... तुझे भूल जाना तो मुमकिन न... >> वक़्त-ए-पीरी दोस्तों की बे-रुख़ी का क्या गिला बच के चलते हैं सभी गिरती हुई दीवार से in old age friends forsake, why should one complain at all nobody treads in the shadow of a crumbling wall Share on: