वस्फ़ अँखियों का लिखा हम ने गुल-ए-बादाम पर By Sher << जब मैं ने कहा आँखें छुपा ... ना-कर्दा गुनाहों की भी हस... >> वस्फ़ अँखियों का लिखा हम ने गुल-ए-बादाम पर कर के नर्गिस को क़लम और चश्म-ए-आहू की दवात Share on: