ना-कर्दा गुनाहों की भी हसरत की मिले दाद By Sher << वस्फ़ अँखियों का लिखा हम ... क़यामत का मुझे डर क्या जो... >> ना-कर्दा गुनाहों की भी हसरत की मिले दाद या रब अगर इन कर्दा गुनाहों की सज़ा है for the sins uncommitted, i hope to get applause if sins one did commit for punishment are due cause Share on: