वस्ल का गुल न सही हिज्र का काँटा ही सही By Sher << इधर आ रक़ीब मेरे मैं तुझे... है क़यामत तिरे शबाब का रं... >> वस्ल का गुल न सही हिज्र का काँटा ही सही कुछ न कुछ तो मिरी वहशत का सिला दे मुझ को Share on: