वो आग लगी पान चबाए से कसू की By Sher << ऐ 'मुस्हफ़ी' सद-श... उठा लाया हूँ सारे ख़्वाब ... >> वो आग लगी पान चबाए से कसू की अब तक नहीं बुझती है बुझाए से कसू की Share on: