वो हबीब हो कि रहबर वो रक़ीब हो कि रहज़न By Sher << कुछ ग़ज़लें उन ज़ुल्फ़ों ... वक़्त-ए-रुख़्सत तसल्लियाँ... >> वो हबीब हो कि रहबर वो रक़ीब हो कि रहज़न जो दयार-ए-दिल से गुज़रे उसे हम-कलाम कर लो Share on: