वो क़हर था कि रात का पत्थर पिघल पड़ा By Sher << जो मुझ में तुझ में चला आ ... कौन सुनता है भिकारी की सद... >> वो क़हर था कि रात का पत्थर पिघल पड़ा क्या आतिशीं गुलाब खिला आसमान पर Share on: