वो ख़लिश जिस से था हंगामा-ए-हस्ती बरपा By Sher << ये माना ज़िंदगी है चार दि... मैं कुफ़्र ओ दीं से गुज़र... >> वो ख़लिश जिस से था हंगामा-ए-हस्ती बरपा वक़्फ़-ए-बेताबी-ए-ख़ामोश हुई जाती है Share on: