वो मिरे पास से गुज़रे तो ये मालूम हुआ By Sher << पहाड़ जैसे दिनों को तो का... इक गुज़ारिश है हज़रत-ए-ना... >> वो मिरे पास से गुज़रे तो ये मालूम हुआ ज़िंदगी यूँ भी दबे पाँव गुज़र जाती है Share on: