वाबस्ता मेरी याद से कुछ तल्ख़ियाँ भी थीं By Sher << दिल का लहू निगाह से टपका ... हर कूचे में अरमानों का ख़... >> वाबस्ता मेरी याद से कुछ तल्ख़ियाँ भी थीं अच्छा किया कि मुझ को फ़रामोश कर दिया Share on: