वफ़ा कैसी कहाँ का इश्क़ जब सर फोड़ना ठहरा By Sher << किश्वर-ए-दिल अब मकान-ए-दर... उठा दिया तो है लंगर हवा क... >> वफ़ा कैसी कहाँ का इश्क़ जब सर फोड़ना ठहरा तो फिर ऐ संग-दिल तेरा ही संग-ए-आस्ताँ क्यूँ हो Share on: