वही रह जाते हैं ज़बानों पर By Sher << दामन-कशाँ वो जाए था सैर-ए... वक़्त है अब नमाज़-ए-मग़रि... >> वही रह जाते हैं ज़बानों पर शेर जो इंतिख़ाब होते हैं Share on: