वक़्त है अब नमाज़-ए-मग़रिब का By Sher << वही रह जाते हैं ज़बानों प... सुनती है रोज़ नग़्मा-ए-ज़... >> वक़्त है अब नमाज़-ए-मग़रिब का चाँद रुख़ लब शफ़क़ है गेसू शाम Share on: