'वहशत' सुख़न ओ लुत्फ़-ए-सुख़न और ही शय है By Sher << 'वहशत' उस बुत ने ... उठा लेने से तो दिल के रहा... >> 'वहशत' सुख़न ओ लुत्फ़-ए-सुख़न और ही शय है दीवान में यारों के तो अशआर बहुत हैं Share on: