उसे ज़िद कि 'वामिक़'-ए-शिकवा-गर किसी राज़ से न हो बा-ख़बर By Sher << सफ़र के साथ सफ़र के नए मस... जौन से रस्ते वो हो निकले ... >> उसे ज़िद कि 'वामिक़'-ए-शिकवा-गर किसी राज़ से न हो बा-ख़बर मुझे नाज़ है कि ये दीदा-वर मिरी उम्र भर की तलाश है Share on: