सफ़र के साथ सफ़र के नए मसाइल थे By Sher << ख़ुद-रफ़्तगी है चश्म-ए-हक... उसे ज़िद कि 'वामिक़&#... >> सफ़र के साथ सफ़र के नए मसाइल थे घरों का ज़िक्र तो रस्ते में छूट जाता था Share on: