ग़म और होता सुन के गर आते न वो 'वसीम' By Sher << जैसे हो उम्र भर का असासा ... इन आँसुओं से भला मेरा क्य... >> ग़म और होता सुन के गर आते न वो 'वसीम' अच्छा है मेरे हाल की उन को ख़बर नहीं on knowing if she did not come the pain would be much worse her ignorance of my condition is surely not a curse Share on: