पाँव ज़ख़्मी हुए और दूर है मंज़िल 'वासिफ़' By Sher << लाज़िम कहाँ कि सारा जहाँ ... तुम्हारा नाम लिखने की इजा... >> पाँव ज़ख़्मी हुए और दूर है मंज़िल 'वासिफ़' ख़ून-ए-असलाफ़ की अज़्मत को जगा लूँ तो चलूँ Share on: