का'बे की सम्त सज्दा किया दिल को छोड़ कर By Sher << आँखों में नूर जिस्म में ब... या अब्र-ए-करम बन के बरस ख... >> का'बे की सम्त सज्दा किया दिल को छोड़ कर तो किस तरफ़ था ध्यान हमारा किधर गया Share on: