वो कुछ रूठी हुई आवाज़ में तज्दीद-ए-दिल-दारी By Sher << गह तीर मारता है गह संग फे... उसी को कहते हैं जन्नत उसी... >> वो कुछ रूठी हुई आवाज़ में तज्दीद-ए-दिल-दारी नहीं भूला तिरा वो इल्तिफ़ात-ए-सर-गिराँ अब तक Share on: