याँ लब पे लाख लाख सुख़न इज़्तिराब में By Sher << मैं तो 'मुनीर' आई... कोई समझे तो एक बात कहूँ >> याँ लब पे लाख लाख सुख़न इज़्तिराब में वाँ एक ख़ामुशी तिरी सब के जवाब में Share on: