याद है क़िस्सा-ए-ग़म का मुझे हर लफ़्ज़ अभी By Sher << यक-ब-यक जाँ से गुज़रना तो... उधर सच बोलने घर से कोई दी... >> याद है क़िस्सा-ए-ग़म का मुझे हर लफ़्ज़ अभी हाल जिस दर्द का जिस रंज का जब से पूछो Share on: