याद तो हक़ की तुझे याद है पर याद रहे By Sher << ऐ 'मुसहफ़ी' शायर ... वहाँ अब ख़्वाब-गाहें बन ग... >> याद तो हक़ की तुझे याद है पर याद रहे यार दुश्वार है वो याद जो है याद का हक़ Share on: