यादों की बौछारों से जब पलकें भीगने लगती हैं By Sher << जब यार ने उठा कर ज़ुल्फ़ो... 'साज़' जब खुला हम... >> यादों की बौछारों से जब पलकें भीगने लगती हैं सोंधी सोंधी लगती है तब माज़ी की रुस्वाई भी Share on: