'साज़' जब खुला हम पर शेर कोई 'ग़ालिब' का By मिर्ज़ा ग़ालिब, Sher << यादों की बौछारों से जब पल... इजाज़त माँगती है दुख़्त-ए... >> 'साज़' जब खुला हम पर शेर कोई 'ग़ालिब' का हम ने गोया बातिन का इक सुराग़ सा पाया Share on: