यार ग़ुस्सा तिरी बला खावे By Sher << गर ज़िंदगी में मिल गए फिर... शाख़-ए-उरियाँ पर खिला इक ... >> यार ग़ुस्सा तिरी बला खावे काम निकले जो मुस्कुराने से Share on: