याद तिरी जैसे कि सर-ए-शाम By Sher << मज़मून सूझते हैं हज़ारों ... ये ज़मीं तो है किसी काग़ज... >> याद तिरी जैसे कि सर-ए-शाम धुँद उतर जाए पानी में Share on: