यही सोच कर इक्तिफ़ा चार पर कर गए शैख़-जी By Sher << करे वो रात की मानिंद दाग़... वो पास हो के दूर है तो दू... >> यही सोच कर इक्तिफ़ा चार पर कर गए शैख़-जी मिलेंगी वहाँ उन को हूर और परियाँ वग़ैरा वग़ैरा Share on: