यही सूरत वहाँ थी बे-ज़रूरत बुत-कदा छोड़ा By Sher << लरज़ता है मिरा दिल ज़हमत-... मेरे तूल-ए-शब-ए-जुदाई को >> यही सूरत वहाँ थी बे-ज़रूरत बुत-कदा छोड़ा ख़ुदा के घर में रक्खा क्या है नाहक़ इतनी दूर आए Share on: