यकसाँ कभी किसी की न गुज़री ज़माने में By Sher << बाक़ी रहा न फ़र्क़ ज़मीन ... जबीं-ए-संग पे लिक्खा मिरा... >> यकसाँ कभी किसी की न गुज़री ज़माने में यादश-ब-ख़ैर बैठे थे कल आशियाने में Share on: