ये अंजुमन ये क़हक़हे ये महवशों की भीड़ By Sher << मेरी आँखें कुछ सोई सी रहत... ख़ुदा आबाद रक्खे ज़िंदगी ... >> ये अंजुमन ये क़हक़हे ये महवशों की भीड़ फिर भी उदास फिर भी अकेली है ज़िंदगी Share on: