ये भी शायद ज़िंदगी की इक अदा है दोस्तो By Sher << ऐ ख़ाल-ए-रुख़-ए-यार तुझे ... उदासी आज भी वैसी है जैसे ... >> ये भी शायद ज़िंदगी की इक अदा है दोस्तो जिस को साथी मिल गया वो और तन्हा हो गया Share on: