ये इक बोसे पे इतनी बहस ये ज़ेबा नहीं तुम को By Sher << मैं उस की पहचान हूँ या वो... न मंज़िल हूँ न मंज़िल-आश्... >> ये इक बोसे पे इतनी बहस ये ज़ेबा नहीं तुम को नहीं है याद मुझ को ख़ैर अच्छा ले लिया होगा Share on: