ये ही हैं दिन, बाग़ी अगर बनना है बन By Sher << लोग जीते हैं किस तरह '... कोई हमदर्द न हमदम न यगाना... >> ये ही हैं दिन, बाग़ी अगर बनना है बन तुझ पर सितम किस को पता फिर हो न हो Share on: