ये ज़माना वो है जिस में हैं बुज़ुर्ग ओ ख़ुर्द जितने By Sher << यूँ चश्म-ए-तर से चेहरे पर... ये रोज़ ढूँढ लाए है इक ख़... >> ये ज़माना वो है जिस में हैं बुज़ुर्ग ओ ख़ुर्द जितने उन्हें फ़र्ज़ हो गया है गिला-ए-हयात करना Share on: