ये जो साए से भटकते हैं हमारे इर्द-गिर्द By Sher << रखें क्यूँकर हिसाब एक एक ... ज़ोरों पे 'सलीम' ... >> ये जो साए से भटकते हैं हमारे इर्द-गिर्द छू के उन को देखिए तो वाहिमा कोई नहीं Share on: