ये किस मक़ाम पे लाई है मेरी तन्हाई By Sher << साफ़ क़ुलक़ुल से सदा आती ... न कीजे वो कि मियाँ जिस से... >> ये किस मक़ाम पे लाई है मेरी तन्हाई कि मुझ से आज कोई बद-गुमाँ नहीं होता Share on: