ये क्या कि रोज़ उभरते हो रोज़ डूबते हो By Sher << फ़िदा कर जान अगर जानी यही... हर मुत्तक़ी को इस से सबक़... >> ये क्या कि रोज़ उभरते हो रोज़ डूबते हो तुम एक बार में ग़र्क़ाब क्यूँ नहीं होते Share on: