ये मस्ख़रों को वज़ीफ़े यूँही नहीं मिलते By Sher << एक मुद्दत से हैं सफ़र में... ये भी रहा है कूचा-ए-जानाँ... >> ये मस्ख़रों को वज़ीफ़े यूँही नहीं मिलते रईस ख़ुद नहीं हँसते हँसाना पड़ता है Share on: