ये मेरे गिर्द तमाशा है आँख खुलने तक By Sher << सुनाते हैं मुझे ख़्वाबों ... सर-ज़मीन-ए-हिंद पर अक़्वा... >> ये मेरे गिर्द तमाशा है आँख खुलने तक मैं ख़्वाब में तो हूँ लेकिन ख़याल भी है मुझे Share on: