ये मिस्रा काश नक़्श-ए-हर-दर-ओ-दीवार हो जाए By Sher << ज़ौक़-ए-नज़्ज़ारा उसी का ... मस्तों का दिल है शीशा और ... >> ये मिस्रा काश नक़्श-ए-हर-दर-ओ-दीवार हो जाए जिसे जीना हो मरने के लिए तय्यार हो जाए Share on: