ये मिट्टी मेरे ख़ाल-ओ-ख़द चुरा कर By Sher << हमीं हैं सोज़ हमीं साज़ ह... तेरे बदन की धूप से महरूम ... >> ये मिट्टी मेरे ख़ाल-ओ-ख़द चुरा कर तिरा चेहरा बनाती जा रही है Share on: