ये तमन्ना है ख़ुदा आलम-ए-हस्ती में तिरे By Sher << आँखें खोलो ख़्वाब समेटो ज... ये जो बेहाल सा मंज़र ये ज... >> ये तमन्ना है ख़ुदा आलम-ए-हस्ती में तिरे मैं अयाँ देखना चाहूँ तो निहाँ तक देखूँ Share on: