ये वो मौसम है जिस में कोई पत्ता भी नहीं हिलता By Sher << उस को भूले तो हुए हो '... मैं सोचता हूँ मगर याद कुछ... >> ये वो मौसम है जिस में कोई पत्ता भी नहीं हिलता दिल-ए-तन्हा उठाता है सऊबत शाम-ए-हिज्राँ की Share on: