यूँ भी तिरा एहसान है आने के लिए आ By Sher << 'मुहिब' तुम बुत-प... देखे जो मेरी नेकी को शक क... >> यूँ भी तिरा एहसान है आने के लिए आ ऐ दोस्त किसी रोज़ न जाने के लिए आ Share on: